Below are few points pertaining to Deen - E - Islam general knowledge which may enlighten the spirit. Loving names of Prophet Muhammad Sallallahu Alaihi Wa Sallam- 1. in Quran – Muhammad and Ahmed 2. in Zaboor – Aaqib 3. in Toraat – Maaz 4. in Bible – Farqeelat 5. in Heaven – Abdul Kareem 6. in Sky – Mujtaba 7. in Earth – Moazzam 8. Ambiya called him as – Abdul Wahab 9. Malaika called him as – Abdul Hameed 10. ALLAH AJJ-WA-JAL called him as – Yaseen - Sallallahu alaihi wa sallam 1 0 names of ASHRA-E-MUBASSHIRA COMPANIONS OF RASOOLULLAH SALLALLAHU ALAIHI WA SALLAM 1. Hazrat Abu Baqr Siddique Radiallahu Anhu 2. Hazrat Umar Bin Khattab Radiallahu Anhu 3. Hazrat Usmane Gani Radiallahu Anhu 4. Hazrat Ali Radiallahu Anhu 5. Hazrat Talha Radiallahu Anhu 6. Hazrat Zubair Radiallahu Anhu 7. Hazrat Abdul Rahman Bin Aauf Radiallahu Anhu 8. Hazrat Saad Bin Abi Waqqas Radiallahu Anhu 9. Hazrat Saed Bin Zaid Radiallahu Anhu 10. Hazrat Abu Ubaida Bin Jarrah...
एक जईफा थी के जो मक्का में रहती थी
वो इन बातों को सुनती थी मगर खामोश रहती थी
वो सुनती थी मोहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम) है कोई हाशिम घराने
में
वो कहता है खुदा बस एक है सारे ज़माने में
वो सुनती थी हुबल की लात की तज़लिल करता है
वो अपने हक़ के फरमाने की ताइद करता है
वो सुनती थी जो उसके साथ है वो है ग़ुलाम उसका
मुसलमान हो ही जाता हैं जो सुनता हैं कलाम उसका
लिखा हैं वो ज़ईफा एक दिन काबा में जा पहुंची
हुबल के पाँव पर सर रख कर उसने ये दुआ माँगी
मैं तुझको पुंजती हूँ और खुदा भी तुझको कहती हूँ
बड़ा अफ़सोस है जो आजकल मैं रंजो ग़म सहती हूँ
वो रंजो ग़म ये है के कोई मोहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम) है कोई
हाशिम घराने से
वो कहता हैं खुदा बस एक है सारे ज़माने में
मिटा दो उसकी हस्ती को ना कोई नाम ले उसका
जिगर ये छलनी हो जाता है सुन सुन कर कलाम उसका
दुआ करके उठी सजदे से और वो अपने घर आई
समझती थी दिल में वो अपने वो उम्मीद भर आई
जईफा को ख़ुशी थी के अब हुबल बिजली गिराएगा
मोहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम) तो मोहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि व
सल्लम) साथियों को भी मिटा देगा
मगर कुछ दिन गुजरने पर जब नाउम्मीद भर आई
दोआ करके हुबल से अपने दिल में खूब पछताई
गरज तरतीब उसने सोच ली खुद ही घर आकर छोडूंगी मैं ये बस्ती रहूंगी मैं
दूर जाकर
गरज एक दिन सुबह उसने अपनी एक गठरी ली
निकलकर घर से अपने और दरवाजे पे आ बैठी
जईफा सोचती थी अब कोई मजदूर मिलता हैं
उसे ये क्या खबर थी एक खुदा का नूर मिलता हैं
फ़रीज़ा सुबह का करके अदा सरकारे दो आलम
चले जाते थे काबे की तरफ वो रहमते आलम
दिलों में आपके शम्सो कमर मालूम होते थे
पए तस्लीम सजदे में शजर मालूम होते थे
जईफा मुन्तज़िर मजदूर की बैठी थी घबराई
यकायक सामने से चाँद सी सूरत नज़र आई
जईफा ने कहा बेटा यहाँ आना – क्या नाम है तेरा?
कहाँ, मजदूर हूँ अम्मा बता क्या काम हैं तेरा?
(वो बुढियां नहीं जानती थी ये पुरे इंसानियत का सर पे बोझ लाए हैं
दुनिया में)
कहाँ जईफा ने, मजदूर हैं गर तो चल मेरी गठरी लेकर
मैं खुश कर दूँगी ऐ मजदूर तेरी मजदुरी देकर
ये सुनकर आपने गठरी अपने सर पर उठाकर ली
ज़इफों की मदद करना ये आदत थी पयम्बर की
गरज गठरी ओ लेकर मंजिले मक़सूद को आई
कहाँ दिल से ऐ दिल अब तेरी उम्मीद भर आई
कहाँ, बेटा जो दिल में थी तमन्ना हो गई पूरी
मोहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम) तो मोहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि व
सल्लम) साथियों से हो गई दुरी
लगी देने मजदूरी जो जईफा आपको उस दम
फरमाने लगे उसदम हुज़ूरे सरवरे दो आलम – ये कोई काम हैं अम्मा मैं लूँ
जिसमे मजदूरी,
कोई हो अगर खिदमत तो मैं वो भी करू पूरी
ये फरमाकर आपने की जाने की तय्यारी
जईफा से इजाजत चाहते थे रहमते बारी
जईफा ने कहाँ बैठो ज़रा ठहरो चले जाना
मुझे एक बात कहनी हैं ज़रा सुनकर चले जाना
यकीं जानो के अब मक्का में झगडा होने वाला हैं
मैं समझाती हूँ तुझको इसलिये की तू भोला – भाला हैं
वो मक्के में कबीला हाशमी नामो नसब वाले
वो ही हैं बेटा, जो सरदार अब्दुल मुत्तलिब वाले हैं
उन्ही में एक जवाँ हैं जो सुना जाता हैं साहिर,
हैं के इस फन में बेटा वो खूब माहिर
वो सर होता हैं जिसके तुख में उल्फत बों के रहता हैं
जो सुनता हैं कलाम इसका वो उसका हो के रहता हैं
हमेशा बच के चलना उससे बोले कोई नाम उसका
नसीहत हैं मेरी न सुनना तू कलाम उसका
नबी बुढियां के दिल में नूरे वहादत भरने वाले थे
नसीहत सुन रहे थे जो नसीहत करने वाले थे
जईफा ने कहाँ, बेटा भला क्या नाम हैं तेरा?
तेरा आगाज़ क्या हैं, क्या अंजाम तेरा?
कहाँ हजरत ने बुढियां से, तुझे मैं क्या नाम बतलाऊं?
मैं क्या काम बतलाऊं, क्या अंजाम बतलाऊं?
मैं बंदा हूँ खुदा का और मुजस्सम नूरे एजद हूँ
कहाँ गर्दन झुकाकर आपने मैं ही मोहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम)
हूँ
मैं हूँ मासूम दुनिया में, मेरा दुश्मन ज़माना हैं
खुदा वाहिद हैं आलम में मुझे बस ये बताना हैं
ये सुनना था के बस आँखों में आंसू हो गए जारी
नबी के इश्क की एक चोंट सी दिल पर लगी कारी
जईफा ने कहाँ बेटा करो मुश्किल मेरी आसान
मैं ऐसी जीत के सदके मैं ऐसी हार पे कुरबां
हुआ जो आन पर उसके फ़ज़ल एज़ने बारी
जईफा के ज़बां पर हुआ खुद ब खुद कलमा जारी...
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