Below are few points pertaining to Deen - E - Islam general knowledge which may enlighten the spirit. Loving names of Prophet Muhammad Sallallahu Alaihi Wa Sallam- 1. in Quran – Muhammad and Ahmed 2. in Zaboor – Aaqib 3. in Toraat – Maaz 4. in Bible – Farqeelat 5. in Heaven – Abdul Kareem 6. in Sky – Mujtaba 7. in Earth – Moazzam 8. Ambiya called him as – Abdul Wahab 9. Malaika called him as – Abdul Hameed 10. ALLAH AJJ-WA-JAL called him as – Yaseen - Sallallahu alaihi wa sallam 1 0 names of ASHRA-E-MUBASSHIRA COMPANIONS OF RASOOLULLAH SALLALLAHU ALAIHI WA SALLAM 1. Hazrat Abu Baqr Siddique Radiallahu Anhu 2. Hazrat Umar Bin Khattab Radiallahu Anhu 3. Hazrat Usmane Gani Radiallahu Anhu 4. Hazrat Ali Radiallahu Anhu 5. Hazrat Talha Radiallahu Anhu 6. Hazrat Zubair Radiallahu Anhu 7. Hazrat Abdul Rahman Bin Aauf Radiallahu Anhu 8. Hazrat Saad Bin Abi Waqqas Radiallahu Anhu 9. Hazrat Saed Bin Zaid Radiallahu Anhu 10. Hazrat Abu Ubaida Bin Jarrah...
सादिक
– सच बोलने वाले को कहते हैं
सिद्दीक
– सच की तस्दीक (कुबूल) करने वाला
दीने
इस्लाम सच का दीन हैं, अल्लाह के रसूल सादिके अमीन हैं
हदीसे
मुबारका – मोमिन सब कुछ हो सकता हैं झूठा नहीं हो सकता
सच
एक बुनियाद हैं दीन-ए-इस्लाम की
जो
बात भी सच करे और अमल भी सच करे वो शख्स सिद्दीक होता हैं
सच्चा
वो होता हैं जिसका दिल बातें करे
अमल
के ज़रिये हुकूक की अदायगी करने वाला सिद्दीक होता हैं
आप
सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया तुम मुझे चंद चीजों की ज़मानत दे दो, मैं
तुम्हे जन्नत की ज़मानत देता हूँ
-
जब बात करो तो सच्ची बात करो
-
वादा करो तो उसको पूरा करो
-
और जब तुम्हे अमानत मिले तो उसे अमानतदारी से अदा करो
-
अपने इज्ज़तो नामूस शर्मगाह की हिफाज़त करो
-
अपनी आँखों को नीचा रखो, बंद रखो, ना महरम से
-
अपने हाथों से दूसरों को नुकसान न दो
आप
सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया
३
बातें ऐसी हैं जो ३ बातें तुम में हो, तुम्हारा जो भी नुकसान हो जाये तुम्हे उसका
फर्क नहीं पड़ता
-
सच बोलना
-
अमानत की हिफाज़त करना
-
और खाने में परहेज़ करना, हराम से बचना हलाल खाना
आप
सल्लल्लाहो अलिही व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया
–
तुम पर लाजिम हैं सच बोलो, सच नेकी हैं और वो इन्सान जन्नत में जायेगा
-
तुम सच ढूंढते रहो, अगरचे तुम देखो के उसमे तुम्हारी हलाकत हैं
-
अल्लाह ने सिदक में नजात रखी हैं
चार
चीजों से इन्सान को फलां (कामयाबी) मिलती हैं
- 1)सिदक से
- 2)हया से
- 3)हुस्ने खुल्क से
- 4)शुक्र अदा करने से
-
इल्म से ज्यादा नफाबकश कोई खज़ाना नहीं
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गुस्से से कम तर कोई हसद नहीं
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अमल से ज्यादा जीनत देने वाला कोई साथी नहीं
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तक्वा से बढ़कर ज्यादा कोई शर्फ नहीं
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सबर से आला कोई नेकी नहीं
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किब्र से बढ़कर रुसवा करने वाली कोई बुराइ नहीं
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नरमी से बढ़कर असर करने वली कोई दवा नहीं
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हिमाकत से बढ़कर तकलीफ देने वाली कोई मर्ज़ नहीं
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तमा से ज्यादा ज़लील करने वाली कोई फकीरी नहीं
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माल जमा करने से ज्यादा ज़लील कोई आदत नहीं
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सेहत से ज्यादा उम्दा कोई जिंदगी नहीं
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पाकीजगी से ज्यादा कोई माइशन खुशगवार नहीं
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खुशु से ज्यादा अच्छी कोई इबादत नहीं
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कनाअत से ज्यादा बेहतर कोई जोहद नहीं
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ख़ामोशी से ज्यादा निगहबानी करने वाला कोई नहीं
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मौत से ज्यादा करीब कोई गायब नहीं
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और सिदक से ज्यादा और कोई नसीहत करने वाली कोई दलील नहीं
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सबसे ज्यादा सच्चा कलाम कुरआन हैं
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सबसे बेहतर ज़िक्र अल्लाह का ज़िक्र हैं
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सबसे बढ़ा अंधापन दिल का अंधापन हैं
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सबसे बढ़ी शर्मिंदगी क़यामत के दिन की हैं
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सबसे बेहतरीन दौलत दिल की बेनियाज़ी हैं
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सबसे बेहतरीन जादे सफ़र तकवा हैं
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सबसे बुरी कमाइ सुदी कारोबार हैं
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सबसे बढ़ा फंदा मर्द के लिए औरत हैं
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सबसे बढ़ा गुनाह शराब पीना हैं
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और सबसे बढ़ी नेकी हर हाल में सच बोलना हैं
सच
सीखना आसन नहीं
सच
बोलने वालों की ४ अलामात –
-
सच बोलने वाले की ज़बान में हलावत होती हैं (मूंह से फूल झड़ते हैं,
बात दिल को छु लेती हैं)
-
अल्लाह तआला उसे हैबत देते हैं, रोब देते हैं ( न तजो तख़्त में न
लश्करो खिताह में हैं जो बात मर्दे कलंदर की बारगाह में हैं)
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चेहरे पर मलाहत होती हैं (पुख्तगी होती हैं, चेहरे पर नूर आता हैं)
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दिल पुरसुकून होते हैं (दिलों में तमानियत होती हैं)
सच
बोलने वाले को अल्लाह की नवाज़िशें
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फरासते मोमिनाना (wisdom)
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नमाज़ें क़ुबूल होती हैं
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सच बोलने वला सौदागर कभी मुफलिस नहीं होता
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सच इन्सान को गनी बना देता हैं
कुरआन
में ५ इनामात (सच बोलने वाले के लिए)
१.
अल्लाह तआला सच बोलने वाले को परेशानी से निकाल कर सुकून में दाखिल फरमा देते हैं
२.
शाही अता फरमाते हैं, अल्लाह की मदद हमेशा आती हैं, अल्लाह ग़ालिब करता हैं
३.
लिसाने सिदक (अल्लाह उसके तजकरे मशहूर कर देता हैं)
४.
कदमा सिदक (मक़ाम ऊँचा होना, मर्तबा बुलंद हो जायेगा)
५.
मकआरे सिदक (अल्लाह का दीदार हो जायेगा)
जिस
ज़बान से झूठ निकलना बंद हो जाये अल्लाह उस ज़बान से निकली हुई दुआ पूरी कर देते हैं
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