Below are few points pertaining to Deen - E - Islam general knowledge which may enlighten the spirit. Loving names of Prophet Muhammad Sallallahu Alaihi Wa Sallam- 1. in Quran – Muhammad and Ahmed 2. in Zaboor – Aaqib 3. in Toraat – Maaz 4. in Bible – Farqeelat 5. in Heaven – Abdul Kareem 6. in Sky – Mujtaba 7. in Earth – Moazzam 8. Ambiya called him as – Abdul Wahab 9. Malaika called him as – Abdul Hameed 10. ALLAH AJJ-WA-JAL called him as – Yaseen - Sallallahu alaihi wa sallam 1 0 names of ASHRA-E-MUBASSHIRA COMPANIONS OF RASOOLULLAH SALLALLAHU ALAIHI WA SALLAM 1. Hazrat Abu Baqr Siddique Radiallahu Anhu 2. Hazrat Umar Bin Khattab Radiallahu Anhu 3. Hazrat Usmane Gani Radiallahu Anhu 4. Hazrat Ali Radiallahu Anhu 5. Hazrat Talha Radiallahu Anhu 6. Hazrat Zubair Radiallahu Anhu 7. Hazrat Abdul Rahman Bin Aauf Radiallahu Anhu 8. Hazrat Saad Bin Abi Waqqas Radiallahu Anhu 9. Hazrat Saed Bin Zaid Radiallahu Anhu 10. Hazrat Abu Ubaida Bin Jarrah...
आप
सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया
जो
शख्स सिला रहमी करता हैं अल्लाह तआला उम्र बढ़ा देते हैं, रिज्क में बरकत अता
फरमाते हैं
सिला
रहमी कहते हैं अपने रिश्तेदारों के साथ अच्छा सुलूक रखना, वो इजा भी पहुंचाए तो
सब्र करना, वो तोड़ें तो उनसे जोड़ना, वो परेशान करे तो उनके साथ अच्छा मुआमला करना,
और इस रिश्ते को बाकि रखना, सलामत रखना, टूटने न देना.
चुनांचे
काब अहबार रहमतुल्लाही अलैहि फरमाते हैं, कसम हैं उस जात की जिसने हजरत मुसा
अलैहिस्सलाम के लिए दरिया के दो टुकडे कर दिया, तौरात में लिखा हैं जो शख्स अल्लाह
से डरेगा, सिलारह्मी करेगा, अल्लाह उसकी मुश्किलात को ख़तम करेंगे, कामों में उसकी
मदद करेंगे और उसकी उम्र को तवील करेंगे
चुनांचे
जो अल्लाह रब्बुल इज्ज़त से ताल्लुक जोड़ना चाहे वो सिलारह्मी करें
हदीसे
कुदसी – अल्लाह तआला फरमाते हैं मैं रहमान हूँ , मैंने रहम को अपने नाम से मुश्तक
किया जो इसे मिलाएगा मैं उसे मिलाऊंगा जो तोड़ेगा मैं उसे तोडूंगा.
अल्लाह
तआला से कुर्ब का सबसे आसान तरीका सिलारहमी करना हैं
बिला
हिसाब जन्नत जाना चाहें तो सिलारह्मी करें
रिज्क
में बरकत चाहियें तो सिलारहमी करें
अल्लाह
से जुड़ना चाहें तो - सिला रहमी करें
इसलिए
सिलारह्मी करने वालों को सबसे ज्यादा अफज़ल कहा गया हैं
हदीसे
मुबारका हैं –
एक
सहाबी ने पूंछा या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम सबसे अफज़ल इन्सान कौन हैं?
नबी
अलैहि सलातो सलाम ने फ़रमाया – जो अल्लाह से डरे, सिलारह्मी करें, अमर बिन मारुफ़ व
नहिय अ निल मुनकर करें
अबू
अय्यूब अंसारी रदिअल्लाहू अन्हु फरमाते हैं एक सहाबी ने आकर पूछा – या रसूलुल्लाह
सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम मुझे ऐसा अमल बताये जो सीधा जन्नत पहुंचाए.
नबी
अलैहि सलातो सलाम ने फ़रमाया –
तौहीद
के पक्के रहना, नमाज़ अदा करते रहना, ज़कात अपने वक़्त पर अदा करना और सिला रहमी करते
रहना.
एक
हदीस मुबारीका हैं अल्लाह रब्बुल इज्ज़त को दो कदम बहोत महबूब हैं- एक कदम हो जो
फ़र्ज़ नमाज़ के लिए उठाया जाएँ और दूसरा कदम जो सिला रहमी के लिए उठाया जाये.
हदीसे
मुबारिका – क़यामत के दीन ३ आदमी अर्श के साये में होंगे
१)सिला
रहमी करने वाला
२)
जो बच्चों की खातिर शादी न करें (साबरा)
३)
लोगों को खाना खिलाने वाला
सय्यदना
सिद्दिके अकबर रदीअल्लाहु अन्हु फरमाते हैं – ३ बातें अटल हैं ( लोहें की लकीर
हैं)
-
मजलूम अगर सब्र करें तो अल्लाह तआला उसकी इज्ज़त बढ़ा देते हैं
-
और जो शख्स सिला रहमी करें तो अल्लाह तआला उसके माल में कसरत अता कर
देते हैं
-
और जो शख्स माल कमाने के खातिर जूठ बोले अल्लाह तआला उस बन्दे को माल
से महरूम फरमाते हैं
चुनांचे
उलमा ने सिला रहमी के बहोत फायदे बताएं हैं –
-
सिला रहमी करने वाले से अल्लाह रब्बुल इज्ज़त ताल्लुक को खुद जोड़ते
हैं
-
सिला रहमी करने वालों की वजह से खानदान पर रहमत बरसती हैं
-
सिला रहमी करने वाला क़यामत के दीन बिला हिसाब जन्नत में जायेंगा
-
सिला रहमी करने वाले के गुनाह क़यामत के दीन अल्लाह रब्बुल इज्ज़त माफ़
फरमाएंगे
-
सिला रहमी करने वालें की नेकियाँ अल्लाह रब्बुल इज्ज़त कुबूल फरमाएंगे
-
हदीसे मुबारिका हैं – सिला रहमी करने वालें की वजह से अल्लाह उसके
मुल्क को सरसब्ज़ और शादाब कर देते हैं
-
सिला रहमी करने वालें से अल्लाह रब्बुल इज्ज़त मुसीबत को टाल देते हैं
-
बुरी मौत से महफूज़ हो जाता हैं
-
अल्लाह खुद भी राज़ी होते हैं और लोगों के दिलों को भी राज़ी कर देते
हैं
-
अल्लाह हर वक़्त मदद फरमाते हैं
-
लोगों की जुबान पर उसकी तारीफें बढ़ जाती हैं
-
जो अकारिब फौत होते हैं उनको आलमे अरवाह में ख़ुशी होती हैं
-
फ़रिश्ते भी खुश होते हैं
-
शैतान मायूस हो जाता हैं
-
सद्काए ज़ारिया का सवाब मिलता हैं
-
सिला रहमी करने वाला अगरचे गुनाहगार हों अल्लाह रब्बुल इज्ज़त उसके
माल और औलाद में बरकत अता फरमाते है
एक
सहाबी आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आये और फ़रमाया –
एक
शख्स मुझे बहोत परेशान करता हैं मगर मैं उसके साथ अच्छा सुलूक करता हूँ
आप
सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया – अगर
तुम ऐसा करते हों तो अल्लाह तआला एक फ़रिश्ते को तुम्हारे कामों में मददगार बना
देंगे.
एलाने
नबुव्वत से पहले कुरैश पर एक मरतबा कहत का वक़्त आया, खाने को नहीं मिलता था,
चुनांचे नबी अलैहि सलातो सलाम अपने चाचा हजरत अब्बास रदिअल्लहु अन्हु के पास गए और
कहा के चाचा मेरे ऊपर इस वक़्त रब्बुल इज्ज़त ने अच्छा रिजक खोला हैं आप कहत के वजह
से बहोत परेशान हैं, आपकी बच्चों की क़फालत मैं कर कर सकता हूँ
हजरत
अब्बास रदिअलाहू अन्हु ने फ़रमाया के मेरे बेटे अकील के सिवा बाकी सब बेटों को आप
मुझ से ले जा सकते हैं
नबी
अलैहि सलातो सलाम उनके सारे बेटों को लाये जब तक कहत ख़तम हुआ उनकी क़फालत खुद फरमाई
ये
एलाने नबुव्वत के पहले के खुल्क हैं, ऐलाने नबुव्वत के बाद के अखलाक क्या होंगे
(सुबहानल्लाह)
ज़वेरिया
रदिअल्लाहू अन्हा ने कहा- ऐ अल्लाह के हबीब सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम मैं एक बांदीको
आजाद करना चाहती हूँ नबी अलैहि सलातो सलाम ने फ़रमाया बेहतर हैं अपने मामू को दे दो
( सदका तो हैं ही मगर इसके साथ रिश्तेदार जुड़ेगा तो डबल सवाब मिलेगा)
अमीर
बीवी अपने ग़रीब शौहर को नफ्ली सदका दे सकती हैं (अल्लाह तआला इसका दुगना अज़र अता
फरमाएंगे)
सिलारह्मी
मुख्तलिफ लोगों से होती हैं, सबसे पहले
-वालदैन
से – अल्लाह तआला फरमाते हैं – व बिल वालिदैने व एहसाना (अपने वालदैन के साथ
हुस्ने सुलूक करों)
-
वालिद की रज़ा में अल्लाह की रज़ा होती हैं और वालिद की नाराज़गी में अल्लाह की
नाराज़गी होती हैं
-
वला तकुल्लहमा उफ़ (तुम उनके सामने उफ़ तक न करना-कुराने मजीद)
-एक
हदीसे मुबारका – तीन कामों से इन्सान को अच्छी मौत आती हैं, यानि कलमे पर १.
वालदैन की खिदमत करने पर २. ज़इफ बन्दे पर मेहेरबानी करने पर ३. मातेहतो के ऊपर
एहसान करने पर
हदीसे
मुबारका – चार कामों से रिजक ज्यादा और बन्दे की नेकियाँ पहाड़ों जैसी
१
वालदैन की खिदमत २. सिलारह्मी ३. सदका ४. हर वक़्त बा वुजू रहना
एक
हदीसे पाक में हैं-
मा
मिन रजुलिन बारीन यमकुरू इला वालिदैही औ
वालिदतिही नज़रतन नज़रता रहमतनीन इल्ला कतबल्लाहो तीलकल नज़रता हज्जतुन मुतकब्बल
-जो
नेक बंदा अपने माँ या बाप के चेहरे पर मोहब्बत की एक नज़र डालता हैं एक नज़र के बदले
अल्लाह मकबूल हज का सवाब अता फरमाते हैं
सहाबा
ने आगे से पूछा – कालु व इन नजरा फी योमिन व अतबर्राह, अगर वो एक दीन में सौ
मर्तबा देखें माँ बाप की तरफ
नबी
अलैहि सलातो सलाम ने फ़रमाया
कालल
काल अल्लाहो अकबर मिन जालिक अल्लाह इसपर इससे भी ज्यादा देगा वो हर नज़र पर एक हज
का अज़र देने का इख़्तियार रखता हैं
एक
हदीसे मुबारका – जो चाहे के अल्लाह उसके मर्तबे को बुलंद करदे उसका रिजक ज्यादा हो
उसको चाहिए की माँ बाप के साथ नेकी करें और सिला रहमी इख़्तियार करें
हदीसे
मुबारका (ह. अनस रदिअल्लाहू अन्हु रावी हैं)- नबी सलातो सलाम ने फ़रमाया – बाप की
दुआ अपने बेटों के लिए इस तरह कुबूल होती हैं जैसे नबी की दुआ उम्मत के लिए कुबूल
होती हैं और बेटे की दुआ अपने बाप के लिए ऐसे कुबूल होती हैं जैसे नबी की दुआ अपनी
उम्मत के लिए कुबूल होती हैं.
मसअला
– उलमाने लिखा हैं
-एक
शख्स अपने वालदैन की तरफ से हज करें तो वालदैन को एक हज का सवाब मिलता हैं और इस
करने वालों को नौ हज्जों का सवाब मिलता हैं
नबी
अलैहि सलातो सलाम ने फ़रमाया –
अल
जन्नतु तहत अकदामिल उम्महाती
माँ
के क़दमों के निचे जन्नत हैं
अगर
माँ बाप काफिर हैं तो भी उनके साथ हुस्ने सुलूक से पेश आना
चुनांचे
हदीसे पाक में हैं जो बंदा वालिद के जिंदगी में खिदमत गुज़ार न बन सका , गफलत थी
गुनाह की जिंदगी थी अब जिंदगी बदली तो एहसास हुआ के मुझे वालिद या वालिदा के साथ
हुस्ने सुलूक करना चाहिए था तो हुक्म हैं के वालिद के इन्तेकाल के बद वालिद के
दोस्तों पर हुस्ने सुलूक करने पर अल्लाह रब्बुल इज्ज़त नाफरमान बेटे का नाम
फरमाबरदार बेटे में लिख देते हैं
उल्माओने
लिखा हैं जो शख्स वालदैन की कब्र की जियारत जुमा के दिन करें अल्लाह तआला उस
नाफरमान बेटे का नाम भी फरमाबरदार बेटों में शामिल कर देता हैं
इसलिए
जो वालिदा की खिदमत न कर सके उसको चाहिए के खाला की खिदमत करें
नबी
अलैहि सलातो सलाम ने फ़रमाया – माँ और बाप से अच्छा सुलूक करो फिर बहन भाई से अच्छा
सुलूक करों
-
बाप जब अपने बेटे को बोसा देता हैं तो जब बेटे की महक उसे आती हैं अल्लाह
फरमाते हैं ये महक जन्नत की खुशबुओं में से हैं
-
अफज़ल सदका रिश्तेदारों के ऊपर सदका करना होता हैं
-
रिश्तेदार अगर काफिर हो तो उसके साथ भी हुस्ने सुलूक करना पड़ेगा,
जानवरों के साथ भी
-
तुम में से सबसे बेहतर वो हैं जो अपनी बीवियों के लिए बेहतर हो
रिश्तेदारों
के साथ सिलारह्मी –
-(इन्नल्लाहा
याअमुरु बिल अदने वल एहसान व इअताइ ज़ल कुरबा)
-
मुहब्बत व उल्फत का ताल्लुक रखें
-
वक्तन फ वक्तन उनको हदिया भेजे
-
अगर वो हदिया भेजे तो बखुशी कुबूल करें
-
उनके बीवी बच्चों की नामूस की हिफाज़त करें
-
मोहताज़ हो तो उनकी खबरगीरी करे
-
बेरोजगार हों तो उनकी मदद करें
-
उनसे हुस्ने सुलूक करें मगर उनसे एहसान न जतलाये
-
दुःख दर्द में बराबर का शरीक हों
-
क़र्ज़ मांगे तो ज़रूर दे
-
जब मेहमान आये तो उनका दिल खोलकर इस्तेकबाल करें
-
रिश्तेदारों के ऐबों की तलाश न करें
-
रिश्तेदारों को रुसवा करनेवालों का साथ न दे
-
उनसे बुग्ज़ व हसद न रखे
-
उनकी इज्ज़त को अपनी इज्ज़त और उनकी ज़िल्लत को अपनी ज़िल्लत समझें
-
जो बात अपने लिए पसंद करें वो उनके लिए भी पसंद करें
-
उनकी हिदायत और कामयाबी के लिए दुआ करते रहें
-
अगर किसी वजह से रंजिश हो जाये तो तीन दीन से ज्यादा रंजिश न रखें
-
अगर रिश्तेदार बुरी आदत में मुब्तेला हों तो नरमी से उनको समझाए
- वो
लडे तो हम करीम हो
-
वो महरूम करे तो हम अता करें
-
वो तकलीफ दे तो हम सब्र करें
-
झगडा हों तो झगदे को नरमी से तय कर लिया जाये
-
अपना नुकसान कर कर भी उनका कुछ न बिगाडे
कतारह्मी
करने वालों की सजा क्या हैं?
-
अल्लाह तआला फरमाते हैं वो लोग कता करते हैं उससे ताल्लुक हो जिससे जोड़ने का हुक्म दिया
-
हदीसे मुबारका – रिश्ता नाता तोड़ने से ज्यादा कोई अमल ऐसा नहीं जिससे
दुनिया में या आखिरत में इन्सान को सजा दी जाये
-
एक हदीसे मुबारका हैं – जन्नत की खुशबु ५०० साल (की मसाफ़त) फासले से
आ जाएगी मगर दो बन्दे उस खुशबु को नहीं सूंघ सकेंगे १. माँ बाप का नाफरमान २. कता
रहमी करने वाला
-
एक हदीसे मुबारका – दो गुनाह ऐसे हैं जिसकी सजा दुनिया में मिलकर
रहती हैं १. ज़ुल्म करना २. कता रहमी करना
-
नबी अलैहि सलातो सलाम ने फ़रमाया – मेरे अल्लाह ने मुझे ९ बातों का
हुक्म दिया
१. अल्लाह से डरू ज़ाहिर व बातिन में
२. इंसाफ की बात करू गुस्से में और ख़ुशी में
३. म्याना रवि इख़्तियार करू फखर में और वूसअत में
४. सिलारह्मी करू उससे जो मुझसे तोड़ने वाला हों
५. जो महरूम करे मैं उसे अता करू
६. जो ज़ुल्म करे मैं उसे माफ़ करू
७. मेरी ख़ामोशी हो
८. मेरी गोयाई ज़िक्रे इलाही में हो और
९. मैं नेक काम का हुक्म करता रहू
हदीसे मुबारका – शबे कद्र में अल्लाह तआला सब गुनाहगारों की मगफिरत
फरमाते हैं चंद की मगफिरत नहीं फरमाते उसमे से एक हैं जो रिश्ते नातों को तोड़ने
वाला हैं
आप सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया –
जो शख्स दुसरे इन्सान की गलतियों को जितना जल्दी माफ़ करता हैं अल्लाह
तआला क़यामत के दिन उसके गलतियों को उतनी जल्दी माफ़ फरमाएंगे
नबी अलैहि सलातो सलाम ने फ़रमाया –
अगर कोई बंदा किसीसे माफ़ी मांगे (एक मुसलमान दुसरे मुसलमान से)
और ये माफ़ करनेवाला कहे के उसको मैं माफ़ नहीं करता, आप ने फ़रमाया ये
माफ़ न करनेवाला हौज़े कौसर पर मेरे आँखों के सामने मत आये मैं उसकी शकल नहीं देखना
चाहता
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